बाघल टुडे (ब्यूरो):- हिमाचल में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी रोड़ा बन गई है। इस समय मत्स्य विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों का जबरदस्त अकाल है। मत्स्य निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर का पद रिक्त है, जबकि कई जिलों में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद रिक्त होने के चलते वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों के पास अतिरिक्त कार्यभार है। यही स्थिति क्लर्क के पदों की है। प्रदेश भर में क्लर्क के 39 पद खाली पड़े हुए हैं, जिससे वर्तमान स्टाफ पर काम का अत्यधिक बोझ बढ़ गया है। सालाना पचास करोड़ रुपए लागत की कार्ययोजनाओं को धरातल पर उतारने का जिम्मा संभालने विभाग में छोटे-बड़े अधिकारी-कर्मियों की भारी कमी है। मत्स्य विभाग का निदेशालय बिलासपुर में कार्यरत हैं, जहां डिप्टी डायरेक्टर की रिटायरमेंट के बाद एक साल से यह पद रिक्त चल रहा है। ज्वाइंट डायरेक्टर का चार्ज भी एसी-टू-डीसी के पास है। इसके साथ ही निदेशालय में कई अन्य श्रेणी के पद भी रिक्त होने की वजह से वर्तमान में कार्यरत स्टाफ को अतिरिक्त कार्य करना पड़ रहा है।
विभाग में इस समय पूरे प्रदेश भर में क्लर्क के केवलमात्र 14 पद ही भरे हैं, जबकि 39 खाली चल रहे हैं। ऊना, मंडी, सोलन व सिरमौर जिलों में मात्र एक एक क्लर्क के सहारे कार्य चलाया जा रहा है। एक-एक सहायक निदेशक के पास चार-चार चार्ज हैं। बिलासपुर डिवीजन की बात करें, तो सहायक निदेशक की रिटायरमेंट के बाद से यह पद खाली चल रहा है, जिसका चार्ज मत्स्य अधिकारी के हवाले है। इसी प्रकार सिरमौर, शिमला, मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिला के पौंग डैम में सहायक निदेशक के पद रिक्त चल रहे हैं, जिसकी वजह से विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। विभाग का सालाना बजट 50 करोड़ के आसपास रहता है। उधर, सतपाल मेहता; निदेशक, मत्स्य निदेशालय, बिलासपुर ने बताया कि मत्स्य विभाग में अधिकारी और कर्मचारियों की कमी को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है।