बाघल टुडे (ब्यूरो):- भाजपा और कांग्रेस के उन पार्षदों को जल्दबाजी महंगी पड़ गई जो मेयर व डिप्टी-मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे ।अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले अगर म्युनिसिपल एक्ट की थोड़ी जानकारी ली होती तो शायद 12 पार्षद का आंकड़ा होने के बाद भी 11 पार्षदों के हस्ताक्षर न करवाते,जबकि वार्ड 1 के पार्षद मनीष को अपने साथ लेकर चलते तो 12 की संख्या को जरूर पूरा करते। गौरतलब है कि मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ भाजपा व कांग्रेस के 11 पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, जिसमें 7 भाजपा व 4 कांग्रेस के पार्षद थे। दोनों पार्टियों के पार्षदों ने मिलकर सयुंक्त मोर्चा बनाया व पूजा को मेयर व कुलभूषण गुप्ता को डिप्टी मेयर के लिए अपना प्रत्याशी बनाया। बाकायदा फ्लोर टेस्ट के लिए भी पार्षदों को पत्र जारी कर दिए गए थे, लेकिन आज जारी हुए एसडीएम के पत्र ने नियमों का हवाला देते हुए दिए गए पार्षदों के बहुमत साबित करने वाले पत्र को निरस्त कर दिया ।
उन्होंने बताया कि अविश्वास लाने वाले पार्षदों कि संख्या कम है, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस पत्र के बाद उनके अरमान जरूर धरे के धरे रह गए जो इन पदों पर अपनी नजरें गढ़ाए बैठे थे। मेयर व डिप्टी मेयर को हटाने वालों ने अगर वार्ड 1 के पार्षद मनीष को अपने साथ लिया होता तो ये जादुई आंकड़ा 12 पहुंच जाता। मनीष को अपने साथ लेकर तो कभी उससे किनारा करने वालों को आज ये सबक जरूर मिल गया होगा कि काश आज मनीष को साथ ले लेते तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले भी चुप बैठने के मुड़ में नहीं दिख रहे है और वो भी कानून की किताब पढ़कर कोई कोर कसर छोड़ते नजर नहीं आ रहे है।