PWD ने एक हफ्ते में खोला घंडल बैली ब्रिज,यातायात के लिए हुआ बहाल ।

बाघल टुडे (ब्यूरो):- शिमला-मटौर नेशनल हाई-वे पर घंडल पुल बड़े वाहनों के लिए खुल गया है। पीडब्ल्यूडी ने एक सप्ताह में इस पुल को यातायात से जोड़ दिया है। पुल के एक किनारे पर भू-स्खलन के बाद इसे आवाजाही के लिए बंद किया गया था। पीडब्ल्यूडी ने 50 लाख रुपए से डंगे का निर्माण कर भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र में सुधार कर लिया है। गुरुवार को पुल का परीक्षण के बाद विभागीय अधिकारियों ने नेशनल हाई-वे पर चलने वाले सभी वाहनों को पुल से आवाजाही की मंजूरी दे दी। अब शिमला-मटौर नेशनल हाई-वे पर सफर करने वाले सभी भारी और हल्के वाहनों को करीब 20 किलोमीटर अतिरिक्त और संकरे मार्ग से सफर नहीं करना पड़ेगा। पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पिछले हफ्ते एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से मुलाकात कर पुल को जल्द से जल्द बहाल करने के निर्देश दिए थे। पुल को दोबारा बहाल करने के लिए एनएचएआई ने पीडब्ल्यूडी को तत्काल बजट की व्यवस्था की और इसके बाद काम शुरू किया गया।
एक हफ्ते में लगातार काम करने के बाद विभाग ने पुल को दोबारा आवाजाही के लिए बहाल कर लिया है। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि बरसात की वजह से पुल का एक हिस्सा भू-स्खलन की चपेट में आया था। इस पुल के टूटने की वजह से शिमला का संपर्क बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी से कट गया था। शिमला से बाहर जाने वाली और वापस लौटने वाली बसें घंडल पुल में सवारियों को उतार रही थीं, लेकिन अब सभी यात्री सीधे अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगी। यात्रियों को बार-बार बस बदलने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा बड़े वाहन भी अब आसानी से पुल पार कर पाएंगे। प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने इस पुल को बहाल करने में पूरी ताकत झोंक दी थी। एक हफ्ते में दोबारा से यातायात शुरू हुआ है।
पीडब्ल्यूडी के खाते में दूसरी उपलब्धि
शिमला-किन्नौर नेशनल हाईवे पांच पर ठियोग में 18 जून को पुल ध्वस्त हो गया था। पुल टूटने की वजह से नेशनल हाई-वे ठप था। इस पुल के टूटने की वजह से अप्पर शिमला, किन्नौर और कुल्लू का शिमला से संपर्क पूरी तरह से कट गया था। इस पुल को बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी ने उठाई थी। विभाग ने करीब 100 मीटर लंबे इस पुल को नौ दिन में तैयार किया था। अब घंडल पुल को विभाग ने एक सप्ताह में दोबारा यातायात के लिए बहाल कर लिया है। विभाग के खाते में तेज गति से काम पूरा करने की यह दूसरी उपलब्धि जुड़ गई है।

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