बाघल टुडे (ब्यूरो):- क्रिप्टो करंसी घोटाले के एक और मुख्य आरोपी को हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार किया है। मामले में अब तक एसआईटी ने दस आरोपी गिरफ्तार किए हैं। घोटाले की जांच को लेकर एसआईटी ने रविवार को छह जिलों में 41 जगहों पर छापेमारी की है। डीआईजी अभिषेक दुल्लर के नेतृत्व में एसआईटी ने रविवार को हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिला में सात, मंडी में दो, ऊना में दो, हमीरपुर में 25, बिलासपुर में चार और सोलन में एक जगह छापेमारी की गई। डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि एसआईटी को छापेमारी के दौरान कई महत्त्वपूर्ण सबूत मिले हैं, जिनमें आपत्तिजनक दस्तावेज़, संपत्ति रिकॉर्ड, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरण शामिल हैं। इसके आलावा एसआईटी ने वाहन विवरण जब्त कर लिया है और अपराध की आय से संबंधित विभिन्न विवरण प्राप्त किए हैं। डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि मुख्य आरोपियों में से एक अभिषेक शर्मा निवासी ऊना जिला, जोकि गिरफ्तारी से बचने की लगातार फिराकमें था,को एसआईटी ने पकड़ लिया। उसे कोर्ट में पेश किया गया और पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
गौर हो कि मंडी जिला के सुभाष और उसके साथियों ने करीब अढ़ाई लाख आईडी बनाकर क्रिप्टो करंसी के नाम पर प्रदेश की जनता को करोड़ों का चूना लगाया है। ठगी के इस स्कैम में करीब एक लाख लोग शामिल बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब तक की जांच में दो हजार करोड़ से अधिक की ट्रांजेक्शन मिली हैं। मामले के तीन मास्टरमाइंड समेत दस लोगों को पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार किया है, जबकि इसका किंगपिन मंडी का सुभाष शर्मा देश छोडकऱ विदेश भाग चुका है। क्रिप्टो क्वाइन और अलग-अलग वेबसाइट के जरिए करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया गया है। करोड़ों के स्कैम में आम लोगों के साथ-साथ पुलिस विभाग के कई कर्मचारी भी बड़ी संख्या में शिकार हुए हैं। बताया जा रहा है कि हिमाचल पुलिस के कई कर्मचारियों ने समय से पहले सेवानिवृत्ति लेकर इस काली कमाई को चुना है। शातिरों ने लाखों लोगों को पैसा फर्जी क्रिप्टो करंसी में लगाकर दोगुना देने के नाम पर ठगा है। डीजीपी ने बताया कि एसआईटी की छापेमारी के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य एसआईटी की जांच में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये साक्ष्य एसआईटी को दोषियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने के एक कदम और करीब लाएंगे। इस समय, हम जनता को आश्वस्त करना चाहेंगे कि हम पूरी तरह से इन धोखाधड़ी वाली योजनाओं को खत्म करने और वैध वित्तीय बाजारों में विश्वास बहाल करने पर केंद्रित हैं।