बाघल टुडे (ब्यूरो):- प्रदेश में इस बार फलों के क्षेत्र में 14.08 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। नुकसान का 80 फीसदी भाग सेब की फसल से संबंधित है, जबकि आंके गए कुल नुकसान का 20 प्रतिशत भाग अन्य फलों से संबंधित है। बागबानी विभाग द्वारा नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को भेज दी गई है। अगर सेब के क्षेत्र में पिछले साल पहुंचे नुकसान से तुलना की जाए तो इस बार नुकसान का ग्राफ काफी कम है। पिछले साल फलों के क्षेत्र में करीब 280 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा था, जिसमें से सेब के क्षेत्र में करीब 250 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा था।
मौसम की मार के कारण इस बार फलों के अधीन आने वाले कुल क्षेत्रफल का 536.5 हेक्टेयर भाग प्रभावित हुआ है। बागबानी विभाग से प्राप्त आकड़ों के अनुसार प्रदेश में दो लाख 35 हजार 785 हेक्टेयर भूमि फलों के अधीन आती है, जिसमें से एक लाख 15 हजार 16 हेक्टेयर भूमि पर सेब के बागान पाए जाते हैं। जिस पर प्रति वर्ष चार करोड़ सेब की पेटियां उत्पादन का संभव है। सेब से जुड़ा सालाना कारोबार 5000 करोड़ का है। शेष भूमि पर चैरी, एप्रीकॉट, नाशपाती, अनार सहित अन्य फलों की पैदावार होती है।
पौने दो लाख परिवारों की रोजी-रोटी सेब
प्रदेश के करीब एक लाख 75 हजार परिवारों की रोजी-रोटी सेब की पैदावार पर निर्भर करती है। इस बार सेब की पैदावार तो अच्छी हुई, लेकिन बाजार में कश्मारी उत्पाद के जल्द बाजार में उतरने के कारण हिमाचल के बागबानों को अपेक्षाकृत दाम नहीं मिल पाए। प्रदेश में करीब 70 फीसदी सेब की पैदावार जिला शिमला से जुड़ी सेब बैल्ट में होती है।
सरकार को भेजी नुकसान की रिपोर्ट
उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक हेमचंद शर्मा ने बताया कि मौसम के प्रतिकूल प्रभाव के कारण फलों के क्षेत्र में इस बार 14.08 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को भेज दी गई है। फलों को पहुंचे नुकसान में सबसे अधिक नुकसान सेब फी पैदावार को लेकर हुआ है। आंके गए कुल नुकसान में से 80 फीसदी नुकसान सेब को पहुंचा है।