राज्य स्तरीय नाट्योत्सवों में नाटकों की चयन प्रक्रिया से प्रदेश के रंगकर्मी नाखुश,कहा कुछ गिनी चुनी नाट्य संस्थाओं को ही आमंत्रित किया जाता है ।

बाघल टुडे (ब्यूरो):- 13 मार्च 2023 से 18 मार्च 2023 तक कुल्लू के अंतरंग सभागार अटल सदन में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय नाट्य उत्सव में नाटकों के चयन की पारदर्शिता को लेकर प्रदेश के अनेक रंगकर्मी एवं रंग संस्थाएं नाखुश हैं! प्रदेश की जानी मानी नाट्य संस्था आकार थिएटर सोसाइटी के सचिव एवं वरिष्ठ रंगकर्मी दीप कुमार, एक्टिंग स्पेस थिएटर ग्रुप के सचिव तथा जाने माने अभिनेता राज इंद्र शर्मा ( हैप्पी), रंगप्रिया थिएटर सोसाइटी के उपाध्यक्ष मोहन कौशिक एवं रंगकर्मी ललित शर्मा तथा प्रदेश के अनेक रंगकर्मी इस उत्सव में नाटकों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं! इन रंगकर्मियों के अनुसार भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश, समय-समय पर प्रदेश के विभिन्न भागों में राज्यस्तरीय नाट्योत्सवों का आयोजन करता है, जो एक बहुत अच्छी बात है! वैसे तो हिमाचल में वर्षों से अनेक नाट्य संस्थाएं नाटकों के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं लेकिन सरकार द्वारा आयोजित इन नाट्य उत्सवों में बार- बार केवल कुछ गिनी चुनी नाट्य संस्थाओं को ही आमंत्रित किया जाता है! जिनमें से कुछ नाट्य संस्थाएं तो ऐसी हैं जो मात्र इन उत्सवों के लिये ही नाटक तैयार करती हैं! अक्सर ये देखा गया है कि ऐसी नाट्य संस्थाओं के नाटक भी स्तरहीन होते हैं!
भारत के किसी भी प्रदेश में जब कोई राज्यस्तरीय या राष्ट्रस्तरीय नाट्योत्सवों का आयोजन किया जाता है तो सर्वप्रथम आवेदन मांगे जाते हैं! उसके बाद चयन प्रक्रिया शुरू होती है! चयन समिति में विशेषज्ञ नाटकों को देखने के बाद उत्सव में होने वाले नाटकों का चयन करते हैं! लेकिन हिमाचल प्रदेश में होने वाले इन नाट्योत्सवों में इस तरह की चयन प्रक्रिया से नाटकों का चयन नहीं हो रहा है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है!
प्रदेश के अनेक रंगकर्मियों के अनुसार भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग में भी व्यवस्था परिवर्तन की बहुत आवश्यकता है ताकि कतार में खड़े आख़िरी कलाकार को भी अपनी प्रतिभा दिखाने के भरपूर मौके मिले! देखा जाये तो प्रदेश में कुल मिलाकर 4-5 ही जिले ऐसे हैं जहाँ नाट्य संस्थाएं नाटक करती हैं! इन जिलों में कई नाट्य संस्थाएं अच्छा काम करती हैं लेकिन अक्सर देखने में आता है कि हर बार किसी न किसी प्रभाव से गिनी- चुनी संस्थाएं ही इन उत्सवों के लिये चयनित होती हैं! जो अन्य संस्थाएं विषम परिस्थितियों में भी अपने स्त्रोतों के बल पर उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं, उन्हें क्यों प्रोत्साहित नहीं किया जाता?
दीप कुमार का कहना है कि गलती किसकी है, मुझे नहीं मालूम? लेकिन मुझे लगता है कि प्रदेश में भविष्य में होने वाले हर राज्यस्तरीय एवं राष्ट्रीय नाट्य उत्सवों की जानकारी प्रत्येक रंगकर्मी एवं नाट्य संस्था को होनी चाहिए ताकि इच्छुक संस्थाएं इसके लिए आवेदन कर सकें!

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