बाघल टुडे(अर्की):- दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा रविवार को अर्की में मासिक सत्संग का आयोजन किया गया। संस्थान के संस्थापक सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्याओं अनुपमा भारती तथा मनजीत भारती ने भजनों और सत्संग द्वारा संगत को भावविभोर कर दिया। साध्वी मनजीत भारती ने कहा कि परमात्मा की रहमत का कोई हिसाब नहीं होता लेकिन मनुष्य इसे न पहचानते हुए गुनाहों पर गुनाह करता रहता है। मनुष्य का जन्म ऐसा होना चाहिए कि हर घड़ी तथा हर पल परमात्मा का सुमिरन हो लेकिन आज मनुष्य संसार की मोहमाया में ही उलझा हुआ है।उन्होंने कहा कि ब्रह्मज्ञान सभी प्रकार के मानसिक विकारों तथा समस्याओं का समाधान है तथा जिस व्यक्ति के पास ब्रह्म ज्ञान का खजाना होता है वह संसार की बाधाओं तथा कष्टों से कभी भी विचलित नहीं होता। उसे हर समय ईश्वर अपने साथ महसूस होता है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति अहंकार के वशीभूत होकर स्वयं को ईश्वरीय सत्ता से ऊपर समझने लग जाता है तभी उसका विनाश शुरू हो जाता है। रावण ने माया रचकर सोने के मृग की रचना की तो प्रभु राम ने माया का जवाब माया से ही दिया तथा असली सीता को अग्नि देव के सुपुर्द करके नकली सीता की रचना कर दी और
माया रूपी नकली सीता रावण चुरा कर ले गया। युद्ध के बाद सीता माता की अग्नि परीक्षा प्रसंग के दौरान अग्निदेव से असली सीता माता को वापिस ले जाने का उल्लेख है। जिस प्रकार भगवान राम के साथ रहने वाले लक्ष्मण भी प्रभु राम की लीला को ना समझ सके उसी तरह आम सांसारिक मनुष्य भी ईश्वर की लीला को नहीं समझ पाता,लेकिन जैसे ही मनुष्य के जीवन में पूर्ण सद्गुरु का पदार्पण होता है तो वह आत्मा और परमात्मा के संबंध को तुरंत जान जाता है।