प्रदेश की आर्थिकी में पशुधन का अहम योगदान,16 लाख टन से अधिक हो रहा दूध का उत्पादन ।

बाघल टुडे (ब्यूरो):- प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने में पशुधन अहम योगदान दे रहा है। उधर,सडक़ों पर भी पशुओं की तादाद चिंताजनक तौर पर बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में पशुधन का आंकड़ा 57 लाख के पार पहुंच चुका है जिसमें सबसे अधिक योगदान गउओं का है, जिनकी संख्या 20 लाख से अधिक हो चुकी है। यहां चिंता का सबब यह है कि दूध की मांग पूरी करती गाय को तो घर में जगह है, लेकिन उसके बाद गउओं को सडक़ों पर छोड़ दिया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में इस समय सालाना करीब 16 लाख टन दूध, चार हजार टन से ज्यादा मीट, 100 मिलियन से अधिक अंडों और डेढ़ हजार टन से अधिक उन का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश के लगभग हर जिला में दूध का व्यवसाय कर लोग अपनी आर्थिकी में सुधार ला रहे हैं। जिला मंडी और जिला कांगड़ा में गउओं की संख्या दो-दो लाख से अधिक है।
प्रदेश भर में भैंसों की संख्या सात लाख के करीब,भेड़ों की संख्या आठ लाख के करीब वहीं बकरियों का आंकड़ा 11 लाख को पार गया है। प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में प्रदेश राष्ट्रीय औसत से आगे है और प्रति व्यक्ति करीब 650 ग्राम दूध उपलब्ध हो रहा है। राज्य में दूध उत्पादन बढ़ा है, 2012-13 में 11.39 लाख टन से 2022-23 में 16.54 लाख टन (अनुमानित) देध का उत्पादन हुआ है। कुल दूध में करीब 70.0 फीसदी हिस्सेदारी गाय के दूध की है, जबकि भैंस के दूध का हिस्सा लगभग 27.0 प्रतिशत और बकरी का हिस्सा तीन फीसदी है ।

राज्य बजट से मिले थे 2772 करोड़ रुपए
पशुधन गणना 2019 के अनुसार देश में पशुधन की संख्या में प्रदेश का 0.82 प्रतिशत और कुल पोल्ट्री का 0.16 प्रतिशत हिस्सा है। राज्य मवेशियों में 20 वें स्थान पर है और देश में कुक्कुट आबादी में 27वां स्थान है। राज्य में पशुधन की कुल संख्या 44 लाख और पोल्ट्री की संख्या 13 लाख से अधिक है। हिमाचल में पशुधन आबादी में सबसे बड़ा 41.42 प्रतिशत हिस्सा दुधारु पशुओं का है।

वेटरिनरी कालेज तैयार कर रहा पशु चिकित्सक
पालमपुर स्थित वेटरिनरी कालेज पशुचिकित्सकों की नई पौध तैयार कर रहा है। हर वर्ष नए पशुचिकित्सक देश व प्रदेश की सेवा के लिए यहां से शिक्षा ग्रहण कर अपना योगदान दे रहे हैं।

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