बाघल टुडे (ब्यूरो):- वर्ष 2017 में सियासी समीकरण बदलने वाले सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा जिस तरह से अब धीरे-धीरे पैरलर मोर्चा खोलने लगे हैं, उसने सरकार के साथ हाईकमान को भी दुविधा में डाल दिया है। राजेंद्र राणा जो पिछले लंबे समय से खामोश बैठे थे, अब शब्दबाण छोडऩे लगे हैंं। पिछले दिनों उन्होंने कहा है कि सियासत में संभावनाएं कभी नहीं मरतीं। अब उनका वह बयान भी काफी चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली हाईकमान ने मंत्रिमंडल की पहली लिस्ट में ही उनका नाम जोड़ा था, लेकिन हिमाचल पहुंचते-पहुंचते पता नहीं, किन कारणों से कट हो गया।
उन्होंने कहा था कि दिल्ली हाईकमान से उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल चुका था, सीएम सुक्खू ने भी भरोसा दिलाया था, लेकिन हो सकता है, कोई सियासी मजबूरी रही होगी। राणा के इन बयानों के बाद उनके पक्ष में एक सहानुभूति भरी लहर देखने को मिल रही है। फिलहाल दिल्ली में हो रही रणनीतिक बैठक में विधायक राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा भी पहुंचे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि हाईकमान के दरबार से किसके लिए क्या फरमान निकल कर आते हैं।
चुनावों का ऑफर तो नहीं!
माना जा रहा है कि हाईकमान प्रदेश में हो रहे सियासी डैमेज को कंट्रोल करने के लिए राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा को लोकसभा चुनाव लडऩे का ऑफर दे सकती है। यह अलग बात है कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकारते हैं या नहीं, क्योंकि पार्लियामेंट्री में तीन-एक पर खड़ी कांग्रेस के पास मौजूदा समय में ऐसा कोई कैंडिडेट नजर नहीं आ रहा, जो चुनाव लड़े और बीजेपी के चक्रव्यूह को भेद सके।