बाघल टुडे (ब्यूरो):- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि थर्मल पावर, सीमेंट और स्टील जैसे कई क्षेत्र हानिकारक उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन के विकल्प तलाश रहे हैं। ऐसे में चीड़ की पत्तियों से तैयार ईंधन स्रोतों का वैकल्पिक प्रयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शंकुधारी वन संपदा बहुतायत में है और बांस उत्पादन की भी उच्च क्षमता है। इसके दृष्टिगत राज्य में चीड़ की पत्तियों और बांस से जैव-ऊर्जा उत्पादन के लिए एक पायलट परियोजना भी शुरू की जाएगी। राज्य सरकार नवीकरणीय ऊर्जा बायोमास के वैकल्पिक स्रोत के रूप में चीड़ की पत्तियों का उपयोग करने के लिए एक प्रणाली विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, ताकि प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा को संरक्षित और सुरक्षित करते हुए इसका बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। प्रदेश सरकार के साथ मिलकर आईआईटी मंडी प्रदेश भर में इस प्रकार के संयंत्र लगाने पर कार्य कर रही है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के हिमालयी क्षेत्र के लिए नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी केंद्र ने एक नवीन समाधान विकसित किया है। इसके तहत चीड़ की पत्तियों का उपयोग बायोमास ऊर्जा के विकल्प के रूप में किया जाएगा।